October 14, 2024

भारतीय मसाला ब्रांड एमडीएच और एवरेस्ट हुआ सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग में बैन…

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बता दें कि सिंगापुर और हांगकांग ने दो लोकप्रिय भारतीय ब्रांड एमडीएच और एवरेस्ट के कुछ मसालों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाते हुए उन्हें वापस मंगाने की मांग की है। क्योकि भारतीय मसालों में हांगकांग ने कार्सिनोजेनिक कीटनाशक एथिलीन ऑक्साइड की कथित पहचान के बाद ये कदम उठाया है।  सिंगापुर ने भी पिछले सप्ताह एक भारतीय कंपनी के मसाले के ख़िलाफ़ इसी तरह की कार्रवाई की थी। जिसमें एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा तय सीमा से ज़्यादा होने का आरोप लगा था, लेकिन आख़िर ये एथिलीन ऑक्साइड है क्या और खाद्य पदार्थों में ये किस तरह से नुक़सान पहुंचाता है।

एथिलीन ऑक्साइड क्या होता है ?

एथिलीन ऑक्साइड का उपयोग आमतौर पर कीटाणुनाशक के रूप में किया जाता है। इसे खेतों में लगी फसल के लिए कीटनाशक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसका उपयोग खाद्य पदार्थों में सख़्त रूप से वर्जित है। दरअसल भारतीय कंपनी के जिस फ़िश करी मसाला में एथिलीन ऑक्साइ़ड पाया गया उसे कैंसर अनुसंधान अंतरराष्ट्रीय एजेंसी द्वारा 1 कार्सिनोजेन के रूप में वर्गीकृत किया गया हैं एलिथिन ऑक्साइड गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है, जिसमें स्तन कैंसर का भी ख़तरा शामिल हैं।


भारत ने सभी मसालों की जाँच के दिए आदेश

हांगकांग के अलर्ट के बाद सिंगापुर ने जांच के लिए हमारे मसालों को अस्थायी रूप से होल्ड किया है। और कहा है कि 60 में से सिर्फ एक प्रोडक्ट की जांच होगी। वहीं हॉन्गकॉन्ग के फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने बयान जारी किया कि MDH ग्रुप के तीन मसाला मिक्स, मद्रास करी पाउडर, सांभर मसाला पाउडर और करी पाउडर में एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा ज्यादा पाई गई है। एवरेस्ट के फिश करी मसाला में भी यह कार्सिनोजेनिक पेस्टिसाइड पाया गया है। ऐसे में इन मसालों पर बढ़ते विवाद के बाद भारत ने सभी मसालों की जाँच के आदेश दिए हैं।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा मसाला प्रोड्यूसर,कंज़्यूमर और एक्सपोर्टर है। वित्त वर्ष 2022-23 में देश ने करीब 32,000 करोड़ रुपये का मसाला एक्सपोर्ट किया था। ऐसे में इस खबर से देश के मसालों के व्यपार पर असर ज़रूर पड़ सकता है।असली मसाले सच-सच, MDH…MDH, यह लाइन बच्चे-बच्चे को याद है। ये हो ही नहीं सकता है कि आपने हर घर के किचन में यूज किए जाने वाले एमडीएच मसालों के बारे में सुना न हो। भारत के दो दिग्गज़ मसाला ब्रांड MDH और एवरेस्ट मसाले की क्वालिटी पर सवाल उठने लगे हैं। हांगकांग ने इन दोनों मसाला ब्रांड के कुछ प्रोडक्ट की बिक्री पर रोक लगा दी है।

FSSAI ने सभी मसाला ब्रांड के पाउडर की जांच की शुरू

इस मामले को लेकर भारतीय मसाला बोर्ड ने हांगकांग और सिंगापुर की तरफ से भारतीय ब्रांड एमडीएच और एवरेस्ट के चार मसालों की बिक्री पर लगाए गए बैन की जांच कर रहा है। वहीं, फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) भी इस मामले के सामने आने के बाद एक्शन मोड में आ गया है। फूड अथॉरिटी ने जांच के मकसद से देश भर से एमडीएच और एवरेस्ट सहित पाउडर के रूप में सभी ब्रांडों के मसालों का सैंपल लेना शुरू कर दिया है। सिंगापुर और हांगकांग में इन दोनों कंपनियों कुछ मसाला प्रोडक्ट्स की क्वालिटी को लेकर चिंता जताये जाने के बाद यह कदम उठाया जा रहा है।

12% से ज्यादा हिस्सेदारी

अगर ओवरऑल मसाला बिजनेस सेगमेंट की बात करें तो उसमें एमडीएच 12% से अधिक बाजार हिस्सेदारी के साथ एवरेस्ट के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा प्लेयर है। उत्तर भारत में एमडीएच का मार्केट शेयर 70% से अधिक है। एमडीएच के 60 से अधिक प्रोडक्ट बाजार में उपलब्ध हैं लेकिन सबसे अधिक बिक्री देगी मिर्च, चाट मसाला और चना मसाला का होता है।

6 महीने की हो सकती है जेल

CFS ने कहा कि इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर ने ‘एथिलीन ऑक्साइड’ को समूह 1 कार्सिनोजेन के रूप में वर्गीकृत किया है। यदि कोई अपराधी अनुमेय सीमा से अधिक कीटनाशक अवशेषों वाले खाद्य पदार्थ बेचता है, तो दोषी पाए जाने पर अधिकतम 50,000 अमेरिकी डॉलर का जुर्माना और छह महीने की कैद हो सकती है।

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