डॉ अनिरुद्ध ने बताया राष्ट्र, समाज, संस्था, साथियों, सहकर्मियों और रोगियों से छात्रों की अपेक्षाएँ…
नवा रायपुर। श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च कॉलेज में डॉ अनिरुद्ध जीभकाटे ने फाउंडेशन कोर्स में चौथे दिन राष्ट्र समाज संस्था, साथियों, सहकर्मियों और रोगियों से छात्रों की अपेक्षाएँ और इसके विपरीत पड़ने वाले प्रभावों के बारे में विस्तार से बताया गया । डॉ अनिरुद्ध ने बताया कि छात्रों की अपेक्षाएँ और समाज, राष्ट्र, संस्थानों, सहपाठियों, और रोगियों की अपेक्षाएँ आपस में कैसे जुड़ी हुई हैं। यह संबंध न केवल शिक्षा के क्षेत्र में, बल्कि स्वास्थ्य सेवा में भी महत्वपूर्ण है। छात्रों को राष्ट्र से यह अपेक्षा होती है कि राष्ट्र उन्हें उचित शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करे।
राष्ट्र से छात्रों की अपेक्षा है कि वे एक सुरक्षित और समृद्ध समाज में रह सकें, जिसमें सामाजिक न्याय हो। समाज की अपेक्षा है कि वे छात्रों को प्रोत्साहित करे और उनकी सोच एवं प्रयासों का सम्मान करे। छात्रों को समाज से अपेक्षा है कि वे स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रमों में भाग लें और उन्हें सही जानकारी दें। छात्रों की अपेक्षा होती है कि शिक्षा संस्थान उन्हें उच्च गुणवत्ता की शिक्षा और प्रशिक्षकों का सहयोग प्रदान करें। उन्हें यह भी अपेक्षा है कि संस्थान उनके कौशल विकास के लिए कार्यशालाएं और इंटर्नशिप के अवसर प्रदान करें।
चिकित्सा के इतिहास और चिकित्सा की वैकल्पिक प्रणालियों के लिए किया जागरूक
छात्रों को सहपाठियों से अपेक्षा होती है कि वे एक-दूसरे का सहयोग करें, ज्ञान साझा करें और एक सकारात्मक वातावरण बनाएं। वे चाहते हैं कि सहपाठी उनके विचारों और प्रयासों का सम्मान करें। छात्रों की अपेक्षा होती है कि रोगी उनके प्रति सम्मान और विश्वास दिखाएं, ताकि वे बेहतर तरीके से उनका उपचार कर सकें। रोगियों से स्पष्ट और ईमानदार संवाद की अपेक्षा होती है, ताकि वे उनकी समस्याओं को सही तरीके से समझ सकें।
चिकित्सा के इतिहास और चिकित्सा की वैकल्पिक प्रणालियों के जागरूकता के बारे में डॉ देबा ने बताया कि चिकित्सा का इतिहास और वैकल्पिक चिकित्सा प्रणालियों के प्रति जागरूकता बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमें न केवल चिकित्सा के विकास को समझने में मदद करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि विभिन्न संस्कृतियों ने स्वास्थ्य और उपचार के लिए कैसे दृष्टिकोण अपनाए हैं। मानव इतिहास में चिकित्सा का उद्भव प्राचीन काल से हुआ।
प्रारंभ में, लोग प्राकृतिक तत्वों, जड़ी-बूटियों और चिकित्सा जादू का उपयोग करते थे। मिस्र, भारत, और चीन जैसी सभ्यताओं में चिकित्सा के लिखित रिकॉर्ड पाए जाते हैं। यह एक प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है, जो स्वास्थ्य को संतुलन और प्रकृति के साथ संबंध के माध्यम से बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करती है। पारंपरिक चीनी चिकित्सा में अक्रुपंक्चर, हर्बल चिकित्सा और ताई ची जैसी तकनीकों का उपयोग होता है। डॉ आनंद व डॉ पलास (EMD)ने बुनियादी जीवन में स्किल लैब के बारे में बताया । चिकित्सा का इतिहास और चिकित्सा की वैकल्पिक प्रणालियों के बारे में डॉ संजय कुमार ने बताया । डॉ शादानी व डॉ मनीष ने रोगी और परिवारों के साथ संचार में आने वाली बाधाओं और प्रतिक्रिया देने के उचित तरीकों से अवगत कराया ।
इस सफल आयोजन के लिए श्री रावतपुरा सरकार ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशन के कार्यकारी निदेशक एस एस बजाज ने शुभकामनाएं दी ।