जानिए स्पेश मिशन के जनक विक्रम साराभाई के जुड़े रोचक तथ्य

देश के स्पेश मिशन में क्रांतिकारी योगदान देने वाले, इंडियन स्पेस के जनक को आज हर कोई जानता है ।

जिसका नाम विक्रम साराभाई है। जिसने अपनी पत्नी के साथ मिलकर एक डांस एकेडमी की भी स्थापना की थी।

विक्रम अंबालाल साराभाई का जन्म 12 अगस्त, 1919 को हुआ था। वो एक प्रतिष्ठित भौतिक विज्ञानी और खगोलशास्त्री रहे, जो भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान और परमाणु ऊर्जा को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

विक्रम साराभाई अहमदाबाद, गुजरात के एक प्रतिष्ठित उद्योगपति परिवार से थे। भारत में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद वह कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के सेंट जॉन्स कॉलेज उच्च शिक्षा प्राप्त की। वहां उन्होंने 1947 में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और कॉस्मिक किरण अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

विक्रम साराभाई ने वर्ष 1942 में मृणालिनी से विवाह किया, जो एक निपुण शास्त्रीय नृत्यांगना थीं। भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होने के कारण उनका परिवार उनकी शादी में शामिल नहीं हो सका। उनके दो बच्चे थे, उनकी बेटी एक अभिनेत्री थीं जबकि बेटे ने विज्ञान के क्षेत्र में अपना करियर बनाया।

संयुक्त राज्य अमेरिका से भारत लौटने के बाद डॉ. विक्रम साराभाई ने नवंबर 1947 में अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना की। 

फिजिक्स रिसर्च लैब ने शुरू में कॉस्मिक किरणों के अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित किया। विक्रम साराभाई के घर से 'रिट्रीट' की शुरुआत हुई, जिसने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)की नींव रखी। 

भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) जैसे कई संस्थानों की स्थापना की और बच्चों को व्यापक विज्ञान शिक्षा प्रदान करने के लिए सामुदायिक विज्ञान केंद्रों की शुरुआत की।

उन्होंने नेहरू फाउंडेशन फॉर डेवलपमेंट और एटीआईआरए और सीईपीटी जैसे अन्य महत्वपूर्ण संस्थानों की भी स्थापना की।

अपने करियर के दौरान साराभाई को कई पुरस्कार मिले। उन्हें 1962 में भौतिकी के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग पर चौथे संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के उपाध्यक्ष रहे । थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन के विकास में योगदान दिया। इसरो के जनक के रूप में 1966 में पद्म भूषण मिला और 1972 में मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

अपनी पत्नी मृणालिनी साराभाई के साथ मिलकर उन्होंने दर्पण एकेडमी ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स की स्थापना की, जिसमें उन्होंने अपनी वैज्ञानिक खोजों को सांस्कृतिक योगदान के साथ मिलाया।

Visit our all Web-stories