जानिए महात्मा गांधी का महात्मा गांधी, राष्ट्रपिता और बापू की उपाधि व नोट पर तस्वीर कैसे छपे ? 

महात्मा गांधी को 'महात्मा' की उपाधि स्वामी श्रद्धानंद ने दी थी।

गांधी जी का पूरा नाम मोहन दास करमचंद गांधी था, लेकिन क्या आप जानते है कि गांधी जी का महात्मा गांधी, राष्ट्रपिता और बापू नाम पड़े कैसे?

महात्मा गांधी को 'महात्मा' की उपाधि स्वामी श्रद्धानंद ने दी थी।

‘राष्ट्रपिता’की उपाधि  4 जून 1944 को सुभाष चन्द्र बोस ने सिंगापुर रेडियो से एक संदेश प्रसारित करते हुए महात्मा गांधी को ‘देश का पिता’ (राष्ट्रपिता) कहकर संबोधित किया। बाद में भारत सरकार ने भी इस नाम को मान्यता दे दी।

महात्मा गांधी को 'बापू' की उपाधि राजकुमार शुक्ल ने दी थी। राजकुमार शुक्ल ने 1917 में चंपारण सत्याग्रह से ठीक पहले गांधी जी को आमंत्रित किया था। उस समय गांधी जी एक युवा वकील थे। राजकुमार शुक्ल ने उन्हें 'बापू' कहकर संबोधित किया था।

सबसे पहले साल 1969 में एक रुपये के नोट पर महात्मा गांधी की तस्वीर छपी थी। यह नोट उनकी 100वीं जयंती के मौके पर जारी किया गया था।  इस नोट पर गांधी जी को सेवाग्राम आश्रम की पृष्ठभूमि में दिखाया गया था। 

नोटों पर गांधी जी की तस्वीर को स्थायी रूप से छापने का प्रस्ताव साल 1995 में रिजर्व बैंक ने केंद्र सरकार को भेजा था।  सरकार की मंज़ूरी के बाद साल 1996 में नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर छपने लगी। 

नोटों पर छपी गांधी जी की तस्वीर 1946 में खींची गई थी।  इस तस्वीर में गांधी जी लॉर्ड फ़्रेडरिक पेथिक लॉरेंस के साथ खड़े हैं। इस तस्वीर को इसलिए चुना गया क्योंकि इसमें गांधी जी की मुस्कुराहट सबसे अलग दिख रही थी।

गांधी जी से पहले भारतीय नोटों पर अशोक स्तंभ की तस्वीर छपती थी।  इसके अलावा, नोटों पर रॉयल बंगाल टाइगर्स, आर्यभट्ट उपग्रह, कृषि, और शालीमार गार्डन जैसी श्रृंखलाओं की तस्वीरें भी छपी थीं। 

Visit our all Web-stories