श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय में आयोजित “लाइफ फ़ोर्स एनर्जी” पर एक दिवसीय कार्यशाला, मुख्य अतिथि रहें स्वर्ण पदक विजेता स्वामी महेश…

रायपुर।। श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय में 22 फरवरी को “लाइफ फ़ोर्स एनर्जी” (जीवन शक्ति ऊर्जा) पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का आयोजन विश्वविद्यालय के साईं राम प्रेक्षागृह में “मेरा स्वास्थ्य मेरी जिम्मेदारी, मेरा जीवन मेरी जिम्मेदारी” के उद्देश्यों के साथ पूरा किया गया।
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कार्यशाला में अतिथि और वक्ता के रूप में स्वर्ण पदक विजेता, योग गुरु और आध्यात्मिक सलाहकार स्वामी महेश एवं पॉजिटिव हेल्थ जोन के मुख्य कार्यकारी डॉ. नरेंद्र पाण्डेय उपस्थित रहे, साथ ही श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस. के. सिंह, कुलसचिव डॉ. सी रमेश कुमार उपस्थित रहें।
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कार्यशाला की शुरुवात दीप प्रज्ज्वलन और राज्य गीत के साथ की गई। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस. के. सिंह ने कार्यशाला को सम्बोधित किया और उन्होंने श्री रविशंकर जी महाराज को नमन करते हुए सभी उपस्थित सदस्यों का स्वागत किया और योग विभाग को कार्यशाला के आयोजन के लिए बधाई दी और उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के योग विभाग द्वारा आयोजित जीवन शक्ति ऊर्जा पर कार्यशाला न केवल ज्ञान प्रदान करने, बल्कि छात्रों के समग्र समग्र विकास पर अधिक ध्यान केंद्रित करने और पारंपरिक भारतीय ज्ञान को हमारे पाठ्यक्रम का अकादमिक हिस्सा बनाने पर ध्यान केंद्रित करने का एक मार्ग है। इसलिए मुझे लगता है कि विश्वविद्यालय छात्रों को बहुत अच्छी तरह से पोषण करने के लिए एक बहुत अच्छे रास्ते पर है। उन्होंने योग के लिए कहा कि योग हमे आध्यात्मिक बनाता है और आपके अंदर उपस्थित नकारात्मक विचारों को खत्म करता है और आपके विचार ही आपके व्यक्तित्व का निर्माण करते है इसलिए सकरात्मक विचार रखे जो आपको हमेशा सही दिशा की ओर प्रोत्साहित करेंगे।
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ततपश्चात डॉ. नरेंद्र पाण्डेय ने कार्यशाला को संचालित करते हुए योग के प्रति विस्तार से सभी को प्रोत्साहित किया। कार्यशाला में नरेंद्र पांडे ने बताया कि हमारे जीवन चर्या का मानव शरीर एवं मन पर क्या प्रभाव पड़ता है साथ ही डेमोंसट्रेशन द्वारा अपत्य व प्रत्यय भोजन का मानव शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव को प्रदर्शित किया। उन्होंने कहा कि मन के आगे न लगाना सीखे, मन के पिछे न लगाना सीखे और मन को कंट्रोल करना सीखे, आपका मन हमेशा सही दिशा में होना चाहिए।
स्वामी महेश ने सभी को वैदिक परम्परा से जोड़ा और योग को अपने जीवन ऊर्जा का स्रोत बताया। उन्होंने चक्रों, कोशों व प्राण तत्व का वर्णन करते हुए बताया कि स्वर का जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ी का प्रवाह हमारे शरीर व मन को प्रभावित करता है और हमारे चक्र पर सकारात्मक/ नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है। विचार शक्ति पर संबोधित करते हुए स्वामी ने औरा स्कैनर के माध्यम से विद्यार्थियों पर डेमो किया। बताया कि शरीर माद्यं खलु धर्म साधनम।। अर्थात् शरीर ही धर्म का, मोक्ष का सर्वप्रथम माध्यम है। इसलिए शरीर स्वस्थ होगा तो मन, मन से विचार, विचार से आत्मा का शुद्धिकरण होता चला जाएगा। उन्होंने बताया कि शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा का परिष्कार योग के माध्यम से ही संभव है। संबोधन के अंत में स्वामी द्वारा ध्यान कराया गया जिसका सभी सदस्यों ने लाभ लिया।
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कार्यशाला के अंत में उपस्थित अतिथयों को कुलसचिव डॉ. सी रमेश कुमार द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया एवं प्रति चिन्ह भेट किया गया। कार्यशाला में संचालक के रूप में योग विभाग के एच.ओ.डी केवल राम चक्रधारी और प्रोफेसर राधिका चंद्राकर उपस्थित रहीं।